
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अतिथि शिक्षकों और अतिथि विद्वानों ने अलग-अलग स्थानों पर प्रदर्शन किया। अतिथि शिक्षक समन्वय समिति मप्र का अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शाहजहांनी पार्क में आठवें दिन भी जारी रहा। अतिथि शिक्षक शाहजहांनी पार्क में प्रांतव्यापी प्रदर्शन अलग-अलग ढंग से कर विरोध जता रहे हैं। शनिवार को जूते पॉलिश कर विरोध किया। वहीं, बेरोजगार मार्केट लगाकर सरकार की नीतियों का विरोध किया है। मार्केट में पॉपकॉर्न, फल्ली, नमकीन, नींबू पानी और जूते पॉलिश करने की दुकान लगाई गई। अतिथि शिक्षकों ने आरोप लगाया कि सरकार ने वचन पत्र के माध्यम से अतिथि शिक्षकों को गुरुजियों की तरह लाभ देने का वादा किया था। सरकार बनने के तीन माह के भीतर नियमित करने की बात की थी, लेकिन एक साल बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। हाल ही में शिक्षक भर्ती काउंसिलिंग और प्राथमिक शिक्षक वर्ग तीन की परीक्षा प्रक्रिया भी शुरू होने वाली है। इससे अतिथि शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार ने इस तरह का नजरअंदाज रवैया बनाए रखा तो यह जन सत्याग्रह जल्द ही आमरण अनशन का रूप ले लेगा। समिति के संस्थापक पीडी खैरवार और प्रदेश अध्यक्ष सुनील परिहार ने बताया कि जब तक नियमितीकरण की मांग पूरी नहीं होगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
नए पद सृजन के फैसले से नाराज हुए अतिथि विद्वान, च्वॉइस फिलिंग प्रक्रिया की निकाली अर्थी
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा का शाहजहांनी पार्क में आंदोलन 27वें दिन भी जारी रहा। अतिथि विद्वानों ने पार्क में शनिवार को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रारंभ की जा रही च्वॉइस फिलिंग प्रक्रिया की अर्थी निकालकर विरोध जताया। अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के डॉ मंसूर अली ने कहा कि सरकार से हमारी मांग केवल वचनपत्र के अनुसार नियमितीकरण की है, जबकि सरकार हमें च्वॉइस फिलिंग प्रक्रिया पुन: प्रारंभ करके अतिथि विद्वान ही बनाए रखना चाहती है। हम इस प्रक्रिया का विरोध करते हैं। विभाग द्वारा लगातार हमें भ्रमित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने हमसे नियमितीकरण का वादा किया था, जबकि सरकार अब हमें फिर से अतिथि विद्वान ही बनाए रखना चाहती है। शनिवार की कैबिनेट बैठक में जो नए पदों के सृजन की कवायद की गई है। उससे सरकार की हमें केवल अतिथि विद्वान बनाए रखने की मंशा स्पष्ट होती है। सरकार अतिथि विद्वानों के लिए वचनपत्र के अनुसार नियमितीकरण की स्पष्ट नीति बनाएं।
मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत भदौरिया ने बताया कि अतिथि विद्वान पिछले 27 दिनों से खुले आसमान के नीचे कड़ाके की ठंड में सरकार से नियामितिकरण की गुहार लगा रहे हैं। यहां तक कि महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ अपने भविष्य के संरक्षण की लड़ाई लड़ रही हैं। फिर भी सरकार हमारी नियमितीकरण की मांगें पूरी नहीं कर रही है।