
मुलतापी समाचार मनोज कुमार अग्रवाल
नई दिल्ली: भारत के कुल निर्यात का 5% चीन को जाता है और भारत के कुल आयात का 14% चीन से आता है। अब इसे अगर चीन के नजरिए से देखें तो चीन के कुल निर्यात का 3% भारत आता है और चीन अपने कुल आयात का 1% से कम भारत से लेता है। अब अगर भारत और चीन का व्यापार बंद हो जाए तो चीन के कुल निर्यात में से 3% का नुकसान होगा और चीन के कुल आयात में 1% से भी कम का नुकसान होगा। जबकि भारत अपने निर्यात में 5% और आयात में 14% का घाटा उठाएगा।
चीन से व्यापार खत्म होने पर भारत आने वाला वह कच्चा माल बंद हो जाएगा जो चीन से आता है। 2020 में भारत पहली बार मोबाइल फोन का शुद्ध निर्यातक बना। इसमें से मात्र 10% फोन भारत में निर्मित हुए, बाकी असेंबल किए गए हैं। इस असेंबलिंग के लिए कच्चा माल चीन ,जापान आदि देशों से आता है।
इस बेरोजगारी के दौर में अगर चीन भारत व्यापार पर बेन लगता है तो कई लाख नौकरियां चली जाएंगी। चीनी कंपनियां भारत के लोगों को रोजगार भी देती हैं। इसका मतलब नुकसान भारत के उत्पादकों और निर्यातकों को होगा। चीन से अचानक व्यापार खत्म करने पर तमाम तरह के नुकसान के अलावा, भारत की ट्रेड पॉलिसी की विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा। दोनों देश आपस में बातचीत का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं, और शायद यही बेहतर रास्ता है।
चीन एक ऐसा देश है जिसने हमेशा भरोसा तोड़ा है और धोखा दिया है। लेकिन चीन से व्यापारिक संबंध जहां तक पहुंचे हैं, उसमें सिर्फ चीन का फायदा नहीं है, भारत का भी फायदा है। अचानक व्यापारिक रिश्ते खत्म करने पर ज्यादा नुकसान भारत को होगा। यकीनन भारत सरकार हम नागरिकों से ज्यादा देश की सुरक्षा के बारे में सोचती है।
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