
चंदेलों की बेटी थी, गोंडवाना की रानी थी
चण्डी थी रणचण्डी थी, वह दुर्गावती भवानी थी।
रानी दुर्गावती 496 वीं जयंती पर विशेष
52 में से 51 युद्धों की विजेता, गोंडवाना की महान वीरांगना रानी दुर्गावती जी की 496वीं जयंती पर कोटि-कोटि नमन
रानी दुर्गावती जी ने 3 बार मालवा के बाज बहादुर और 2 बार अकबर की फ़ौजों को परास्त किया था।
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अकबर की फौज के खिलाफ हुए अंतिम युद्ध में एक तीर रानी की दाईं आंख में लगा जिसे उन्होंने निकाल फेंका पर एक नुकीला हिस्सा आंख में ही अटक गया। दूसरा तीर गर्दन पर लगा जिसे भी उन्होंने निकाल फेंका। जब बेहोशी छाने लगी तब रानी दुर्गावती जी को लगा कि मुगल उन्हें जीवित पकड़ना चाहते हैं, तो घायलावस्था में ही रानी दुर्गावती जी ने अपने सेनापति आधारसिंह से कहा कि मुझ पर कटारी मारो। आधारसिंह ने ऐसा करने से मना किया, तो रानी दुर्गावती जी ने आधारसिंह को कहा कि “धिक्कार है तुम्हारी वीरता पर जो तुमने मेरे लिए इस अपमान को चुना”
इतना कहकर रानी सा ने कटारी अपनी छाती में घोंपकर शत्रुओं के मंसूबों पर पानी फेर दिया।
शौर्य और साहस की प्रतिमूर्ति, अमर बलिदानी, गोंडवाना की शासिका महान वीरांगना रानी दुर्गावती की जयंती पर कोटि कोटि प्रणाम।
मनमोहन पंवार , संपादक एवं अध्यक्ष
जिला प्रभारी
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समाजसेवी अधिमान्य पत्रकार महासंघ